दुनिया में सबको कोरोना बाटने वाला चीन एक अजीबो गरीब कारनामा किया है। चीन ने अपनी तकनीकी का इस्तेमाल कर एक नया मुकाम रच दिया है। चीन ने अपनी तकनीकी के मामले में रूस ,अमेरिका जापान सबको पीछे छोड़ दिया है। चीन के वैज्ञानिकों ने एक कृत्रिम सूरज का निर्माण कर दिया है। वैज्ञानिकों ने कृत्रिम सूरज परमाणु रिएक्टर को सफलतापूर्वक बना कर दुनिया में दूसरे सूरज के दावे को सच कर दिया है।

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चीन ने एक ऐसा परमाणु फ्यूज़न का निर्माण किया है जो वास्तव में सूरज से कई गुना ज्यादा ऊर्जा देने वाला है। चीन की सरकारी मीडिया ने इसका दावा अपने एक रिपोर्ट में किया है। चीन का यह HL -2 M प्रोजेक्ट , इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर ( ITIR ) में उसकी भागीदीरी के लिए अहम तकनीकी सहायता उपलब्ध कराएगा। ITIR एक महात्वाकांक्षी ऊर्जा प्रोजेक्ट है जिसमे दुनिया के 35 देश इस प्रोजेक्ट में शामिल है। इसमें भारत और चीन का भी नाम है। इस पुरे प्रोजेक्ट में भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 10 प्रतिशत है।

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चीनी मिडिया रिपोर्ट के अनुसार चीन ने इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 2006 में किया था। इस नकली सूरज को बनाने में नेशनल न्यूक्लियर कारपोरेशन के साथ साऊथ वेस्टर्न इंस्टिट्यूट ऑफ़ फिजिक्स के वैज्ञानिकों ने मिल कर बनाया है। इस प्रोजेक्ट को बनाने का मकसद ये था की प्रतिकूल समय में भी सौर्यउर्जा को बनाया जा सके। चीनी मीडिया ने बताया यह कृत्रिम सूरज करीब 15 करोड़ डिग्री सेल्सियस का तापमान हासिल करेगा जो असली सूरज से 10 गुना ज्यादा अधिक गर्म है। असली सूरज का तापमान करीब 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस है।

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धरती पर मौजूद अगर न्यूक्लियर रिएक्टर्स की बात करे तो यह ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए विखंडन प्रक्रिया का इस्तेमाल होता है। उसके बाद परमाणुओं का विभाजन होता है जिसके वजह से ऊर्जा उत्पन्न की जाती है। चीन के सिचुआन में इस कृत्रिम सूरज का कार्य संपन्न हुआ है। इस पुरे प्रोजेक्ट को पूरा करने में करीब 22 .5 बिलियन डॉलर की लागत आयी है। दुनिया के बहुत से देश कृत्रिम सूरज बनाने की कोशिश कर रहे है । लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली थी जिसका मुख्य कारण था प्लाज्मा को एक जगह रखना और उसे फ्यूज़न तक उसी हालत में रखना सबसे बड़ी दिक्क़ते है। 

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