दुनिया के जितने भी सभ्यताएं हैं और देश हैं उनका भविष्य तभी उज्जवल रहता है जब उस देश के बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त करें। इसके लिए हर सरकार पूरी कोशिश करती है कि वहां के रहने वाले हर एक एक बच्चे को अच्छी शिक्षा मुहैया कराई जा सके। कोई भी देश तभी तरक्की करता है जब वहां के बच्चे अच्छी शिक्षा ग्रहण करते हैं। कई बार सरकारों पर यह हमेशा इल्जाम लगता रहता है कि सरकार अपने हिसाब से वहां के रहने वाले बच्चों को तौर-तरीके सिखाती है सभ्यता सिखाती है पढ़ाई लिखाई अपने तरीके से करवाती है और कई बार इसका आगे चलकर दुष्परिणाम भी देखने को मिलता है।
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स्कूल को हम ज्ञान का मंदिर मानते है। माँ – बाप अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए बच्चों को वहां भेजते है लेकिन उनका जीवन उज्जवल होने के बजाय अगर अंधकारमय हो जाये तो सोचिये उन माँ – बाप पर क्या बीतेगी। हम बात कर रहे है कनाडा का एक ऐसा स्कूल जिसमे शिक्षा के अलावा बच्चों की जान ली जाती थी। बच्चों को जबरजस्ती उनके घर से उठा कर लाया जाता था और कभी उनके माँ – बाप दुबारा उन बच्चों से मिल नहीं पाए।
आइये जाते है इस कहानी के पीछे छुपे एक बेहद खौफनाक सच के बारे जिसको पढ़ते ही आपकी रूह कापने लगेगी। खबर है कनाडा से , कनाडा में जगह है जिसका नाम है कमलुप्स। कमलूप्स में एक स्कूल था, कम्लूप्स इंडियन रेजिडेंशियल स्कूल और इसका इतिहास 100 साल पुराना है। ये एक जमाने में सबसे बड़ा बोर्डिंग स्कूल था। कहा जाता है 1890 में ऐसे बहुत से स्कूल खुले जिसमें 1,50,000 लाख बच्चों को लाया गया और इस स्कूल में रखा गया। जिसमे बहुत से भारतीय बच्चे भी थे। लेकिन पढ़ाई के नाम पर यहां उन बच्चों के साथ जुल्म होने लगा।
जुल्म होने के पीछे की वजह ये थी की स्कूल क्रिश्चियन था और बच्चे अलग – अलग सभ्यता के थे। लेकिन उस स्कूल का मक़सद था की इन सभी को जो भी तालीम दी जाएं वो क्रिश्चियन सभ्यता के अनुसार ही दी जाएं। यानी की इन सभी बच्चों को धर्म परिवर्तन करने को मजबूर किया जा रहा था, क्रिश्चियन सभ्यता के अनुसार ही रहना, बोलना, और बाकी तौर तरीके भी उन बच्चो को जबरजस्ती सिखाया जा रहा था। इन छोटे छोटे बच्चों को अपनी भाषा में बोलने का भी अधिकार नही था।
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ऐसे में कहा जाता है की उस वक्त कनाडा में इस तरह के कई सारे स्कूल खुले जिसमें अलग अलग जगहों से बच्चो को उनके मां बाप के मर्जी के खिलाफ उठा कर इन बोर्डिंग स्कूल में डाल दिया गया। और इन बच्चों की संख्या करीब डेढ़ लाख थी। और ऐसे में जब इन बच्चों पर जुल्म होते थे तो बहुत से बच्चो की जान चली जाती थी। बहुत से बच्चे एक बार जब यहां आए तो दुबारा वो कभी अपने मां बाप से नही मिले। ऐसे में उनके मां बाप ने भी बहुत कोशिश की लेकिन उनको कोई जानकारी नहीं दी जाती थी।
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इन बच्चो के साथ शारीरिक शोषण होता था, मानसिक उत्पीड़न किया जाता था, और बच्चे इस उत्पीड़न का सहन नही कर पाते थे उनकी जान चली जाती थी। इन बच्चों में बहुत से बच्चो की उम्र महज 3 या 4 साल थी। इन सभी को ईसाई बनने को मजबूर किया जाता था और अपने हिसाब से तैयार किया जाता था। और ये सारा काम एक मिशन के तहत किया जा रहा था।
1890 से ये सभी स्कूल कैथोलिक चर्च के अंतर्गत आते थे जिसका सारा मैनेजमेंट कैथोलिक चर्च ही देखता था। लेकिन लेकिन 1970 के आसपास कनाडा सरकार ने इन सभी स्कूलों को अपने हाथ में लेना शुरू कर दिया। 1978 में कनाडा सरकार ने इस कमलूप्स इंडियन रेजिडेंशियल स्कूल को भी अपने हाथ में ले लिया और इसको बन्द कर दिया। बताया जाता है इस स्कूल में करीब 500 बच्चे यहां रह कर पढ़ते थे और ये कनाडा के सबसे बड़ा क्रिश्चियन स्कूल था।
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कमलूप्स इंडियन रेजिडेंशियल स्कूल जिसको कनाडा सरकार ने 1978 में बंद कर दिया था। ये खबर यही से शुरू हुई और पूरी सच्चाई इसी स्कूल की जमीन ने कुछ दिन पहले उगलने लगी। हुआ ये की कनाडा के कुछ संस्था अलग – अलग जगहों पर जाकर जमीन के नीचे क्या है उसकी सोध कर रहे थे। और ये लोग सोध करते – करते इस स्कूल तक पहुंच गए। अब जब ये लोग स्कूल के जमीन के नीचे दबे हुए वस्तुओ की खोज के लिए मशीन लगाई जिसका नाम था पेनिट्रेटिंग रडार। जब इस मशीन का इस्तेमाल हुआ तो जो हकीकत सामने आई शोध करने वाले लोगों के पांव तले जमीन खिसक गई।
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उन्होंने जो पता लगाया वो ये था की इस जमीन के नीचे बहुत सारे कंकाल दफन है। इसके बाद वहां पर खुदाई हुई और एक एक कर के करीब 215 कंकाल निकाले गए। जब इन कंकालों का जांच किया गया तो पता लगा ये सभी कंकाल छोटे छोटे बच्चों के है। इनमें बहुत से बच्चो की उम्र तीन या चार साल ही है। अब यहां से सरकार से कान खड़े हुए की स्कूल में बच्चों के कंकाल का मामला क्या है। इस मामले को लेकर कनाडा के पीएम ने ट्वीट भी किया और कनाडा के लिए काला दिन बताया।
अब इस मामले का पूरा सच क्या है? ये सारे कंकाल स्कूल के अंदर कैसे? तो अब इसको पुरानी घटना से जोड़ कर देखिए जो ऊपर मैने आपको बताई है। डेढ़ लाख बच्चे जो अलग – अलग बोर्डिंग स्कूल में पढ़ते थे उनमें से करीब 6000 बच्चे कभी वापस अपने मां बाप से मिल नही पाएं और इसका सीधा मतलब था इन सभी बच्चों की मौत हो गई थी।
इन सभी बच्चों को अलग – अलग जगहों पर गुमनाम तरीके से दफन कर दिया गया था और ये कंकाल उन्ही बच्चों की है। सबसे हैरान करने वाली बात ये है की यह जो स्कूल है उसके प्ले ग्राउंड में भी पेनिट्रेटिंग रडार ने सिग्नल दिए है और वहां भी ज्यादा तादात में कंकाल होने की बात कही जा रही है। अब कनाडा सरकार इसको लेकर चिंतित है और इसकी खुदाई कब होगी ये अभी आने वाला वक्त बताएगा।
2005 में एक रिपोर्ट आई थी और बहुत सारे रिपोर्ट इस मामले पर आते रहे है जो अलग – अलग कमेटी ने दिए थे जिसमे इस बात का जिक्र किया था की इन स्कूल में बच्चों के साथ जुल्म होते थे और मार दिया जाता था। इसके बाद 2008 में कनाडा सरकार ने बकायदा संसद में इस पूरी घटना के लिए माफी भी मांगी थी और इस बात को माना था की यहां पर स्कूल में बच्चों के साथ शारीरिक शोषण किया जाता था उनको अपनी सभ्यता से रहने में रोक थी, उनकी अपनी भाषा में बोलने नही दिया जाता था।
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