पूरा देश कोरोना की महामारी से त्रस्त है। इस महामारी से बचने का एक ही उपाय है वो है वैक्सीन। सब लोग वैक्सीन लगवाना चाहते है और वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। हर कोई जानना चाहता है की वैक्सीन कब मिलेगी ? हर किसी के मन में सवाल है की आखिर वैक्सीन उपलब्ध क्यों नहीं हो रही है ? सरकार की नाकामी है या वजह कुछ और है ?

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तो आइये इन सभी सवालों के जवाब तलासते है।

वैक्सीन बनाने वाली भारत बायोटेक ने वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया के बात करते हुए बताया की टीकों का निर्माण , परीक्षण ,रिलीज , और वितरण सैकड़ों चरणों और जटिल बहुक्रियात्मक प्रक्रिया से गुजरना होता है। इन सभी के लिए हमें ज्यादा मानव संसाधनों की जरूरत पड़ती है। वैक्सीन बनने से लेकर वैक्सीन लगने तक हमें इंटरनेशनल सप्लाई चेन , निर्माताओं , नियामकों , राज्य और केंद्र सरकार की एजेंसियों से अत्यधिक समन्वय की जरूरत होती है। टीके के का उत्पादन एक चरण दर चरण प्रक्रिया है। 

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इस प्रक्रिया में कई मानक भी शामिल है जिसपे हमें खरा उतरना होता है। इन सभी प्रक्रियाओं से गुजरने में हमें करीब तीन से चार महीने लग जाते है। इसलिए वैक्सीन बनने के बाद भी लोगो तक पहुंचने में करीब 90 दिन से ज्यादा लग जाता है। कोवैक्सीन के एक बैच के बनाने। परीक्षण करने,और उसके बाद रिलीज करने में करीब 120 दिन लग जाते है।

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इस पुरे 120 में हमें नियामक दिशानिर्देशों को पूरा करने पर निर्भर करता है। CDSCO के दिशानिर्देशों के अनुसार भारत में आपूर्ति करने वाले सभी टीके परीक्षण के लिए प्रस्तुत करने और केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला भारत सरकार को जारी करने के लिए आवश्यक होते है। राज्य और केंद्र सरकारों के टीके आपूर्ति के लिए सभी बैच भारत सरकार के दिए निर्देश के आवंटन ढांचे पर आधारित होती है।

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