जीका वायरस (ZIKA VIRUS) से जुड़े हर सवालों के जवाब आसान शब्दों में हम दे रहे हैं। देश में कोरोना महामारी के बाद एक और वायरस धीरे-धीरे अपना पैर पसार रहा है जिसका नाम जीका वायरस है। भारत में पहला कोरोना पॉजिटिव केस पिछले साल 27 जनवरी 2020 को मिला था। इसके ठीक डेढ़ साल बाद अब जीका वायरस भी चर्चा में शामिल हो गया है। जीका वायरस के अब तक 19 मामले मिले हैं जिनमें से एक 24 साल की गर्भवती महिला भी शामिल है। जीका वायरस से जुड़े कुछ अहम और बेहद जरूरी सवालों के जवाब हम आपको देने वाले हैं।
जीका वायरस क्या है?
यह जीका वायरस फ्लेविवाइरिडे फैमिली का एक वायरस है। एडीज प्रजाति के मच्छर के काटने से फैलता है। एडीज प्रजाति का मच्छर डेंगू, येलो फीवर, जापानी इंसेफेलाइटिस जैसी अन्य बीमारियों के लिए भी मुख्य कारक माना जाता है।
जीका वायरस का इतिहास (ZIKA VIRUS HISTORY) क्या है?
सबसे पहले इस जीका वायरस को युगांडा के जीका जंगलों में रहने वाले बंदरों से आइसोलेट किया गया था। इसको 1947 में जीका जंगलों के बंदरों से आइसोलेट किया गया, जिसके बाद इसका नाम जीका वायरस पड़ गया। 5 साल बाद यानी कि 1952 में तंजानिया और युगांडा में पहली बार इसको इंसानों में पाया गया। जीका वायरस पहली बार 2007 में फेडरेटेड स्टेट्स ऑफ माइक्रोनेशिया के आईलैंड यप में पहली बार फैला था। लेकिन बड़े पैमाने पर 2013 में जीका वायरस ने फ्रेंच पॉलीनेशिया और उसके आसपास के छोटे देशों में फैल गया।
मच्छरों के अलावा और कैसे-कैसे जीका वायरस फैल सकता है?
यह जीका वायरस, एडीज मच्छरों के काटने के अलावा, संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने की वजह से भी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के शरीर में जा सकता है। इस वायरस की वजह से किसी गर्भवती महिला के भ्रूण में पल रहे बच्चे भी संक्रमित हो सकते हैं। सीडीसी की रिपोर्ट के मुताबिक खून चढ़ाने की वजह से भी जीका वायरस के फैलने का खतरा बना रहता है। लेकिन इसकी पुष्टि 100 प्रतिशत तक नहीं है।
इस वायरस से क्या बीमारी होती है और इसको खतरनाक क्यों कहा जा रहा है?
माइक्रोसेफली के चलते जीका वायरस को खतरनाक बताया जा रहा है। यह वायरस गर्भ में पल रहे बच्चे को संक्रमित करने में सक्षम है जिसकी वजह से गर्भ में पल रहा बच्चा माइक्रोसेफली से संक्रमित हो जाता है। माइक्रोसेफली से संक्रमित बच्चे जन्म के बाद दूसरे हमउम्र बच्चों के मुकाबले काफी छोटे होते हैं।
माइक्रोसेफली से संक्रमित होने के बाद जन्म लेने वाले बच्चों के शरीर और दिमाग भी अक्सर छोटा होता है और यह ठीक से विकसित नहीं हो पाता। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक जीका वायरस जिन देशों में फैला है वहां गुलियन बेरी सिंड्रोम तेजी से फैलती है। गुलियन बेरी सिंड्रोम एक प्रकार की न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जिसकी वजह से इंसानों को लकवा या मौत हो जाता है। नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ स्टडी के मुताबिक जीका वायरस की वजह से लोगों की मृत्यु दर 8.3% थी।
जीका वायरस के लक्षण (ZIKA VIRUS SYMPTOMS) क्या-क्या होते हैं?
जीका वायरस से संक्रमित होने वाले व्यक्ति में कई तरह के लक्षण दिखते है।
1. सिर दर्द शरीर पर चकत्ते पड़ जाना।
2. आंखों का लाल हो जाना।
3. बुखार का आना।
4. मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द। यह जीका वायरस के आम लक्षण हैं।
ये लक्षण कितने दिनों तक बने रहते हैं?
जीका वायरस से संक्रमित होने के बाद आमतौर पर यह लक्षण 2 से 7 दिनों तक बने रह सकते हैं। आमतौर पर लोग बीमार इतना नहीं होते कि उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़े। क्योंकि जीका वायरस से मृत्यु की दर काफी कम होती है। इंसानों में इसी वजह से संक्रमण होने के बाद भी इस जीका वायरस का पता नहीं चल पाता। यह बीमारी डेंगू और चिकनगुनिया जैसे ही लगती है जो मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी है।
डॉक्टरों के पास कब जाने की जरूरत पड़ती है?
1. अगर कोई व्यक्ति जीका वायरस से संक्रमित है और उसमें कोई भी लक्षण हल्के-फुल्के दिख रहे हैं और यह व्यक्ति अगर जोखिम वाले इलाके में गया जहां जीका वायरस का प्रकोप ज्यादा था तो इस व्यक्ति को लक्षण दिखने के बाद डॉक्टरों से दिखाना जरूरी है।
2. किसी गर्भवती महिला को अगर जिका वायरस के लक्षण दिखते हैं तो इसको डॉक्टरों से दिखाने की जरूरत ज्यादा है।
(ZIKA VIRUS) के लिए कौन सी वैक्सीन उपलब्ध है?
इस जीका वायरस के लिए अब तक किसी भी प्रकार की कोई भी वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। इस बीमारी से बचने का एकमात्र तरीका मत मच्छरों से बचना है।
ZIKA VIRUS से बचने के क्या-क्या उपाय हैं?
जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि जीका वायरस (ZIKA VIRUS) मच्छरों के काटने से फैलता है तो हमें अपने आप को मच्छरों के प्रकोप से दूर रहने की जरूरत है। इसके लिए हमें ये जरूरी उपाय करने चाहिए जैसे –
1. फुल आस्तीन की शर्ट और पैंट पहने ताकि मच्छर हमें न काट सके।
2. खिड़की दरवाजे और दरवाजों में जाली का इस्तेमाल करें ताकि मच्छर आपके घर के भीतर न घुस पाए।
3. घर के आसपास कहीं भी पानी इकट्ठा न होने दें।
4. गर्भवती महिलाओं और नवजात को दूध पिलाने वाली महिलाओं को मच्छरों से बचने के लिए मॉस्किटो रेपेलेंट का इस्तेमाल करना चाहिए। लेकिन ध्यान रहे कि 2 महीने से कम उम्र के नवजातों और बच्चों के लिए इसका इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। इसके लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करना महत्वपूर्ण और लाभदायक है।
4. अगर आप खुले जगह पर सोते हैं जहां मच्छरों का प्रकोप ज्यादा है तो मच्छरदानी का इस्तेमाल अवश्य करें।
5. ऐसी जगहों पर जाने से बचे जहां पर जीका वायरस के केस मिल रहे हो।
जीका वायरस से संक्रमित हो जाने के बाद क्या करना चाहिए?
इस जीका वायरस के इलाज के लिए अब तक कोई भी सटीक दवाई नहीं मिली है, जिससे इसका इलाज किया जा सके। ऐसी परिस्थिति में आप –
1. पूरी तरह से आराम करें।
2. डिहाइड्रेशन से बचाव के लिए भरपूर पानी पीते रहे।
3. शरीर दर्द और बुखार होने पर आप पेरासिटामोल की दवा ले सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि एस्प्रिन और कोई दूसरी नॉन स्टेरोइडल एंटी इंफ्लेमेटरी ड्रग (NSAID) न लें।
4. अगर आप पूर्व में किसी अन्य बीमारी से भी ग्रसित हैं तो ऐसे में कोई भी दवा लेने से पहले डॉक्टर की परामर्श लेना अति जरूरी है।
5. मच्छरों से अपने आप को बचाना बेहद आवश्यक है।
भारत में जीका वायरस का क्या इतिहास है?
पहली बार भारत में इस जीका वायरस (ZIKA VIRUS) के केस 1952 और 1953 में मिले थे। 2018 में पिछली बार राजस्थान में जीका वायरस के 80 केस मिले जबकि 2017 में गुजरात के अहमदाबाद जिले में तीन मामले पाए गए थे। 2017 की जुलाई में ही तमिलनाडु कृष्णागिरी में भी एक केस की पुष्टि हुई थी। अभी 2021 में जीका वायरस के केस केरल में मिले हैं।