देश और दुनिया के वैज्ञानिक हर दिन कुछ नया करने की कोशिश में लगे रहते हैं। इसी बीच जापान के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा वायरलेस चार्जिंग रूम तैयार किया जिसमें बिना चार्जर, प्लग और केबल के लैपटॉप और मोबाइल फोन को चार्ज किया जा सकता है। चार्जिंग रूम में गजट को सिर्फ रख देने से ही अपने आप चार्ज हो जाएंगे।

यह भी पढ़े:  क्या कोवैक्सीन बनाने के लिए गाय के बछड़े का सीरम इस्तेमाल किया जाता है? कैसे बनाई जा रही है कोवैक्सीन?

हवा से चार्ज जायेगे मोबाइल और लैपटॉप

जापान के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किया गया यह वायरलेस चार्जिंग रूम में हवा से गजट को चार्ज करने का तकनीकी विकसित किया गया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक यह एक नई तकनीकी है और इसमें बिना इलेक्ट्रिक फील्ड के मैग्नेटिक फील्ड को जनरेट किया जा रहा है। वैज्ञानिकों ने बताया कि कमरे में मौजूद मैग्नेटिक फील्ड से जानवरो या इंसान के जान को खतरा नहीं है।

यह भी पढ़े:  कोरोना वैक्सीन के बाद शरीर में प्लेटलेट्स हो जाते है कम ? नई स्टडी में से हुआ चौंकाने वाला खुलासा।

10 बाय 10 फ़ीट के कमरे का हुआ है इस्तेमाल 

वैज्ञानिकों ने बताया 10 बाय 10 फीट के कमरे का इस्तेमाल हुआ है। इस वायरलेस चार्जिंग रूम को टोक्यो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है। वैज्ञानिकों ने बताया की मैग्नेटिक फील्ड लाइन को ध्यान में रखते हुए यह कमरा 50 वाट तक की पावर उब्लध कराएगी। इस चार्जिंग रूम की खासियत यह है कि इसमें किसी भी प्रकार की चार्जिंग पैड की जरूरत नहीं होने वाली।

इस रूम को तैयार करने में कितनी लागत लगेगी कोई जानकरी नहीं दी

वैज्ञानिकों ने बताया कि यह शोध अभी शुरुआती स्टेज में है और इसमें कई सारे बदलाव होने वाले हैं इसलिए इस चार्जिंग रूम को तैयार करने में कितनी लागत होगी इसकी जानकारी अभी नहीं दी जा सकती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक यह तकनीकी लोगों तक पहुंचने में वर्षों का समय लग सकता है। वैज्ञानिकों ने यह भी बताया कि इसको तैयार करने के लिए विशेष सुरक्षा का ध्यान रखा गया है और आगे भी हम इसको और सुरक्षित बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

यह भी पढ़े:  लैब में तैयार हुआ दुनिया का पहला ब्रेस्ट मिल्क , मौजूद है सभी पोषक तत्व।

वायरलेस तकनिकी से जुड़े विवाद का हल भी मिलेगा

शोधकर्ताओं के मुताबिक इस नए वायरलेस रूम को एलुमिनियम टेस्ट रूम को तैयार किया गया, जिसमें पावर लेंस और मोबाइल फोन को कमरे के अलग-अलग स्थानों पर रखकर चार्ज करके टेस्टिंग की गई। आपको बता दें वायरलेस चार्जिंग के तकनीकी से जुड़ा एक विवाद भी चलता रहता है। एक स्टडी के मुताबिक वायरलेस चार्जिंग में मैग्नेट और coil का प्रयोग किया गया, जिसका प्रयोग एप्पल के कुछ डिवाइसों में होता है।

लो फ्रिकवेंसी वाली मैग्नेटिक फील्ड तैयार की गई है

इस स्टडी के मुताबिक इस तरह के तकनीकी से हार्ट के मरीजों में लगाए गए पेसमेकर और अन्य डिवाइस से पर भी असर होता है, जिससे मरीजों की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। लेकिन इस नई रिसर्च से जुड़े शोधकर्ता एलेनसन सैम्पल के मुताबिक इस नई तकनीकी के साथ ऐसा होने का खतरा बेहद कम है क्योंकि वायरलेस चार्जिंग रूम जो तैयार किया गया है उसमें मैग्नेट का इस्तेमाल स्थाई तौर पर नहीं हो रहा है इसलिए इंसानी सेहत पर खतरा कम होगा। शोधकर्ता के मुताबिक इस नई तकनीकी में लो फ्रिकवेंसी वाली मैग्नेटिक फील्ड तैयार की गई है जिससे डिवाइस में पावर को ट्रांसफर किया जा सके।

यह भी पढ़े:  कोरोना के बाद मंकीपॉक्स वायरस का खतरा , ब्रिटेन में 2 मरीज हुए संक्रमित।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *