डीजल – पेट्रोल के दामों की वृद्धि होने से लोगो पर दोहरी मार

देश में डीजल – पेट्रोल के दाम बेतहाशा बढ़ रहे हैं बहुत से राज्यों में डीजल के दाम ₹100 प्रति लीटर के करीब पहुंच गया है और पेट्रोल के दाम ₹100 से ज्यादा हो चुका है। लोग इस कोरोना महामारी में परेशान हैं और ऐसे लोगों पर डीजल-पेट्रोल के दामों की वृद्धि होने से दोहरी मार पड़ रही है। लोग अब केंद्र सरकार से इस पर नाराजगी जता रहे हैं और सवाल खड़े कर रहे हैं कि सरकार डीजल और पेट्रोल के दाम क्यों कम नहीं कर रही है।

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दाम बढ़ने के मुख्य वजह क्या है ?

आज हम ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब इसमें देंगे कि आखिर क्या कारण है जिसके वजह से डीजल और पेट्रोल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं । हम सभी जानते हैं कि कोरोना के बाद से यूरोपीय देशों में अब जीवन सामान्य होने लगा है। जीवन सामान्य होते ही पेट्रोलियम पदार्थों की मांग भी बढ़ने लगी है। कच्चे तेल की कीमतें खूब बढ़ रही है और यह 2 साल के उच्चतम स्तर पर आ चुका है। ऐसे में कच्चा तेल महंगा होने लगा है। कुछ जानकारों का कहना है कि अगर ईरान पर लगे प्रतिबंध हटा दिया जाए तो कच्चा तेल सस्ता हो सकता है।

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ईरान से डीजल – पेट्रोल आयत पर भारत को फायदा

आई आई एफ एल के वाइस प्रेसिडेंट अनुज गुप्ता ने बताया भारत अपनी जरूरतों का करीब करीब 85 फ़ीसदी से अधिक कच्चा तेल आयात करता है। भारत साल 2019 से पहले ईरान का दूसरा सबसे बड़ा ग्राहक था। अनुज गुप्ता ने बताया कि ईरान के कच्चे तेल लेने से भारत को कई सारे फायदे होते थे। ईरान से तेल का आयात करने में ट्रैवलिंग रूट छोटा होता था जिससे माल की ढुलाई सस्ती पड़ती थी। ईरान भारत के रुपयों में कच्चा तेल देता है, जबकि अन्य बाकी जो देश हैं वह डालर में कच्चे तेल का व्यापार करते हैं।

ईरान पर लगे प्रतिबंध हटने से भारत को फ़ायद

ऐसे में डॉलर महंगे होने की वजह से कच्चे तेल के लिए भारत को ज्यादा पैसा देना पड़ता है। बातचीत में अनुज गुप्ता ने बताया कि अगले हफ्ते ईरान पर लगे प्रतिबंध को लेकर के मीटिंग होगी। अगर इस मीटिंग में ईरान पर लगे प्रतिबंध हटाने पर सहमति बनती है तो कच्चा तेल 60 से $65 प्रति बैरल तक आ जाएगा। ईरान पर लगे प्रतिबंध में अमेरिका अगर ढील देता है तो भारत उससे फिर से तेल का आयात शुरू करेगा। अनुज गुप्ता ने बताया कि ईरान से तेल आयात 2019 से ही बंद है।

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आइए जानते हैं कि अगर ईरान से प्रतिबंध नहीं हटता है तो क्या होगा?

पेट्रोल हो या डीजल की कीमतें यह मुख्य रूप से चार कारकों पर निर्भर रहती हैं। इसमें सबसे पहला है कच्चे तेल की कीमत, रुपए के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की कीमत, टैक्स और इनकी मांग का स्तर क्या है। अनुज गुप्ता ने बताया कि अगर ईरान से प्रतिबंध नहीं हट पाता है तो आने वाले दिनों में कच्चे तेल की मांग बढ़ेगी और यह $75 प्रति बैरल तक आ सकता है।

आने वाले कुछ दिनों में डीजल – पेट्रोल दाम और बढ़ेंगे ?

अमेरिका में वैक्सीनेशन पूरे होने की वजह से यहां की अर्थव्यवस्था स्थिर होने लगी है। इसकी वजह से अब रुपए के मुकाबले डॉलर मजबूत होने लगा है। 1 से 2 महीने बाद ₹75 तक पहुंच जाएगा जो अभी ₹73 के करीब है। आने वाले दिनों में डीजल और पेट्रोल और महंगे हो सकते हैं। अगर डॉलर की कीमत ₹75 पहुंचती है तो डीजल और पेट्रोल भी दो से ₹3 मांगे हो जाएंगे। आम आदमी को राहत तभी मिलेगी जब ईरान पर लगे प्रतिबंध को हटाया जाएगा।

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केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दिया बयान

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने देश में बढ़ रहे डीजल और पेट्रोल की कीमतों की बढ़ोतरी के लिए वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के दाम में तेजी होना को जिम्मेदार ठहराया है। केंद्रीय मंत्री ने माना है कि डीजल और पेट्रोल के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि डीजल और पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए कोई भी निर्णय नहीं लिया गया है। ऐसा माना जाता रहा है कि जीएसटी के दायरे में लाने के बाद  कीमतें कम हो सकती है।

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सरकार डीजल – पेट्रोल पर कितना टैक्स वसूल रही है?

बात करें तो हमारे देश में डीजल और पेट्रोल महंगा नहीं है, लेकिन सरकारों के टैक्स लगाने के बाद से यह महंगा हो जाता है। भारत में डीजल पेट्रोल का बेस प्राइस ₹35 के करीब है। जबकि इस बेस प्राइस के बाद से राज्य सरकार और केंद्र सरकार टैक्स लगाकर इसको ₹100 से भी ऊपर कर देती है। केंद्र सरकार ₹33 एक्साइज ड्यूटी वसूलती है। इसके बाद इसके ऊपर राज्य सरकारें भी अपना वैट और सेस वसूल करती है। इन सब टैक्सों को लगाने के बाद बेस प्राइस से दाम 3 गुना बढ़ जाता है। भारत में पेट्रोल ₹54 और डीजल पर ₹44 से भी ज्यादा टैक्स वसूला जा रहा है।

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