कोरोना महामारी के दौरान लगे लॉकडॉउन की वजह से तमाम अभिभावक आर्थिक तंगी से जूझ रहे है। इसी बीच देश के सर्वोच्च न्यायालय ने इन सभी अभिभावकों को स्कूल फीस को लेकर बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि छात्र ऐसी कोई भी सुविधा लेने में असमर्थ है जो सुविधा वो स्कूल आने पर लेते थे, ऐसे में सभी स्कूलों को 15 प्रतिशत तक एनुअल फीस में कटौती कर देना चाहिए।

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सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविल्कर की बेंच ने कहा की बच्चों को फीस 5 अगस्त तक 6 किस्तो में जमा की जाएगी, ऐसे में किसी छात्र के परिजन फीस देने में असमर्थ है तो छात्रों को परीक्षा देने से कोई स्कूल रोक नही सकते और न ही रिज़ल्ट देने से मना कर सकते है।

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कोई अभिभावक फीस नहीं जमा कर पा रहा है तो स्कूल उनसे बात करेगे मगर रिज़ल्ट किसी हालत में नही रोकेंगे।

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सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा की लॉकडॉउन के दौरान सभी स्कूलों ने बिजली, पानी, पेट्रोल, डीजल, स्टेशनरी, रखरखाव, साफ सफाई को मिला कर लगभग 15 फीसदी की बचत की ऐसे इन शुल्को को छात्रों से वसूल करना गलत है और ये शिक्षा में व्यवसाईकरण की तरह से माना जाएगा।

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निलेश गोविन्द राव

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