स्पेन के वैज्ञानिकों ने अपनी एक रिसर्च में दावा करते हुए कहा कि नाली के गंदे पानी से मिले बैक्टीरिया की मदद से ईंधन तैयार किया है। वैज्ञानिकों ने दावा किया कि पर्पल बैक्टीरिया को सूरज की रोशनी से एनर्जी मिलती है जिसका इस्तेमाल करके यह गंदे पानी में हाइड्रोजन फ्यूल को अलग कर देता है। वैज्ञानिकों ने यह भी बताया कि ये बैक्टीरिया किसी भी प्रकार के ऑर्गेनिक वेस्ट से कार्बन को रिकवर करने में सक्षम है। इस प्रक्रिया के दौरान निकलने वाली ऊर्जा का इस्तेमाल बिजली बनाने में किया जा सकता है।
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क्या है पर्पल बैक्टीरिया ?
पर्पल बैक्टीरिया एक ग्राम नेगेटिव बैक्टीरिया है जो सूरज की रोशनी का इस्तेमाल करके फोटोसिंथेसिस प्रोसेस यानी कि प्रकाश संश्लेषण के जरिए अपना भोजन बनाने में सक्षम है। जिस प्रकार से पौधे सूर्य की रोशनी से अपना भोजन तैयार करते हैं उसी तरह से यह पर्पल बैक्टीरिया भी अपनी भोजन तैयार करने की क्षमता सूर्य की रोशनी से रखता है। इस पर्पल बैक्टीरिया में बैक्टीरियोक्लोरोफिल ए और बी पिगमेंट पाया जाता है। इस बैक्टीरिया के बैगनी रंग होने के पीछे का मुख्य वजह भी यह दोनों पिगमेंट ही हैं।
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बैक्टीरिया से कैसे तैयार होगी बिजली?
इस बैक्टीरिया पर शोध करने वाली किंग जुआन कार्लोस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने बताया कि जब हम पर्पल फोटोट्रॉपिक बैक्टीरिया को इलेक्ट्रिक करंट देते हैं तो यह किसी भी ऑर्गेनिक वेस्ट से 100 फ़ीसदी तक कार्बन निकाल देता है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान हाइड्रोजन गैस निकलती है जिसका इस्तेमाल हमने बिजली बनाने में किया।
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वैज्ञानिकों के अनुसार इंडस्ट्री और घर से निकलने वाले सीवेज में बायोप्लास्टिक, एनिमल प्रोटीन और कई दूसरी चीजें शामिल होती हैं। सीवेज में आने वाली इन सभी चीजों को साफ करने का कोई दूसरा प्रभावी तरीका नहीं है। पर्पल बैक्टीरिया इस गंदगी को ईंधन में बदलने की क्षमता रखता है क्योंकि इसका मेटाबॉलिज्म दूसरे बैक्टीरिया से काफी तेज है। वैज्ञानिकों ने बताया यह दूसरी फोटोट्रॉपिक बैक्टीरिया है और शैवाल से ज्यादा बेहतर भी।
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