भारत देश जिस मुश्किल दौर से गुजर रहा है उस दौर से अगर बाहर निकलना है तो सबको एक साथ मिलकर सहयोग करने की जरूरत है। देश में सत्ताधारी नेता तो या विपक्ष के उन सभी को कुछ दिनों तक राजनीति को भूल कर लोगो की जान बचाने के लिए काम करने की जरूरत है। मगर अपने देश का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात ये है की इस समय ही सभी पार्टिया एक दूसरे पर आरोप – प्रत्यारोप लगा कर अपनी राजनितिक फायदे की सोच में है। ये बात जरूर है की सरकार के काम करने के तरिके पर सवाल जरूर हो मगर किसी की मौत पर राजनीति नहीं हो चाहिए। मगर अपने देश के नेता मौके के तलाश में रहते है उसका फायदा उठाते है।
जबसे देश में कोरोना आया है तबसे पूरा देश और पूरी दुनिया ने भारत में चल रहे सियासत को बड़े करीब से देखा। अगर हम बात करे पिछले साल लगे लॉकडाउन की जिस पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टिया लगातार मोदी सरकार पर बदइंतजामी का आरोप लगाती रही। तो वही कुछ नेता ये भी बोलते नजर आये की मोदी सरकार ने बिना सोचे समझे और जल्दबाजी में लॉकडाउन का फैसला किया है। हमने पिछले साल देखा था मार्च और अप्रैल के महीने में लॉकडाउन लगते ही लाखों बेबस , गरीब मजदुर पैदल ही हजारो किलोमीटर की यात्रा कर अपने घर जाने को मजबूर हो गए थे। ऐसे में सत्ताधारी पार्टी पर सवाल उठना वाजिब था और इस मौके को विपक्षी पार्टियां छोड़ना नहीं चाहती थी लिहाजा उन्होंने इस पर खूब राजनीति की और सत्ताधारी पार्टी ने भी इस पर राजनीति करने में पीछे नहीं थी।
जिस देश में कावड़ियों पर हेलीकाप्टर से फुल बर्षाये जा सकते है क्या उस देश में मजदूरों को घर भेजने के लिए लॉकडाउन करते समय तैयारी सरकार नहीं कर सकती थी। जो ट्रेन या बस बाद में इन मजदूरों के लिए आई क्या ये सब पहले नहीं हो सकता था ? हजारो मजदूरों की मौत के बाद ही इस तरह का कदम उठाने की याद आई ? सत्ताधारी सरकार से लोग तो सवाल पूछेंगे ही और उनको जवाब भी देना होगा। जिस देश में हजारों मरीज रोज अपनी जान इस लिए गवा देते है क्योकि उनको समय से न अस्पताल मिलता है ,न दवाई न ऑक्सीजन तो ऐसी परिस्तिथि में जनता तो सवाल करेगी ही। जिस देश में अंडरवर्ड डॉन को दो मिनट में अस्पताल में बेड्स मिल जाता है लेकिन इस देश की गरीब जनता को बेड्स तो छोड़िये समय से डॉक्टर न मिले तो जनता सवाल करेगी ही। जिस देश में नेताओ को रैली में जाने के लिए हेलीकाप्टर मुहैया हो जाती है मगर गरीब जनता को वही नेता एक एम्बुलेंस दिलाने में सफल नहीं होते तो जनता सवाल करेगी ही |
एक खबर बिहार की कुछ दिनों से चल रही है जिसमे सत्ताधारी पार्टी के एक नेता के कार्यालय में 40 एम्बुलेंस खडी पाई जाती है और इसका खुलासा दूसरी पार्टी के नेता जिनका नाम पप्पू यादव है वो बकायदा इसको वीडियो के द्वारा सामने लाते है। लेकिन वक़्त का तकाजा देखिये पुलिस ने पप्पू यादव को गिरफ्तार कर लिया वो भी वर्षो पुराने मामले में और उनके ऊपर कोरोना के नियमो का उलंघन करने का भी मुकदमा दर्ज होता है , लेकिन एम्बुलेंस को अपने दफ्तर में रखने वाले नेता पर कोई कार्यवाही नहीं होती है तो ऐसे में जनता तो सवाल करेगी ही। और अब सबसे बड़ा मुद्दा ये हो गया है की क्या बीजेपी अब तानासाही की राह पर चल पड़ी है ? क्योकि जिस तरह से सरकार पर सवाल खड़े करने वालो पर मुक़दमे दर्ज हो या पुराने में मामले में गिरफ्तारी हो जाती है, ऐसे में तो ये सवाल उठेगा ही।
सरकार पर कोई सवाल करता है तो उसको गिरफ्तार किया जाए और फिर इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान लेते हुए कार्यवाही करना पड़े, तो देश की जनता अब पहले जैसी नहीं रही, वो सब देख रही है और समझ रही है और उसका जवाब भी वो देना जान चुकी है। सरकार को अब अपने इस रवैये को बदलने की जरूरत है वरना देश की जनता आपको भी बदलने में देर नहीं करेगी। बंगाल की राजनीती से कुछ सिख मिली हो सम्भलने की कोशिश करे वरना जनता ने अब मन बनाना शुरू कर दिया है।
निलेश गोविन्द राव