आमतौर पर मकड़ी के जहर से लोगों को मौत के मुंह में जाते देखा है। मगर वैज्ञानिकों ने मकड़ी के जहर से हार्ट अटैक का इलाज खोज लिया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक खतरनाकफनेल बेब मकड़ी के जहरमें ऐसे मॉलिक्यूल से खोजे गए हैं जो हार्ट अटैक के मरीजों में दिल में होने वाले डैमेज को रोकने में सक्षम है।
वैज्ञानिकों ने आगे बताया किस शहर की मदद से जो मरीज हार्ट ट्रांसप्लांट कराते हैं उनके हार्ट की लाइफ को भी बढ़ाई जा सकती है। क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी इस खतरनाक मकड़ी के जहर से इलाज खोजने का काम किया है। क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के डॉ नाथन बल्लभ पंत व प्रो. ग्लेन किंग और विक्टर चेंग कार्डियक रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर पीटर मैकडोनाल्ड ने मिलकर शोध किया है।
मकड़ी के कहर से बनाई दवा कैसे काम करती है?
शोधकर्ता डॉक्टर नाथन के मुताबिक मकड़ी के जहर में Hi1a नाम की एक प्रोटीन मौजूद है। यह प्रोटीन हार्ट से निकलने वाले डेथ सिग्नल को रोकने में सक्षम है। वैज्ञानिकों ने बताया कि ऐसा होने पर कोशिकाओं की मौत होने से रोकने में सफलता मिल सकती है। इसके प्रभाव से हृदय की कोशिकाओं में सुधार हो जाता है। वैज्ञानिकों ने यह दावा करते हुए कहा कि ऐसी कोई भी दवाई नहीं बनाई पाए जा सकी है जो हार्ट अटैक के बाद हुए हर्ट में डैमेज कोशिकाओं को रोकने के लिए दी जा सके।
मकड़ी की जहर हार्ट के कोशिकाओं को करती है दुरुस्त
प्रोफेसर मैकडोनाल्ड के मुताबिक यह दवा उन मरीजों के लिए बेहद प्रभावशाली होगी जो हार्ट अटैक से जूझ रहे हैं। इस Hi1a प्रोटीन की मदद से डोनेट किए गए हार्ट की कोशिकाओं को भी सुधारा जा सकता है जिसके वजह से हार्ट ट्रांसप्लांट होने की सफलता दर ज्यादा हो जाएगी।
मकड़ी के जहर को कैसे खोजा गया?
प्रोफेसर ने बताया कि मकड़ी में हमने एक प्रोटीन खोजा है। रिसर्च करने के बाद यह पता चला कि प्रोटीन ब्रेन स्ट्रोक के बाद रिकवरी में मददगार है। जब एक मरीज को स्ट्रोक के 8 घंटे बाद यह प्रोटीन दिया गया तो पता चला कि वह ब्रेन में हुए डैमेज को रिपेयर करने में सक्षम है। यहाँ से हमने सोचा कि यह Hi1a अगर ब्रेन डैमेज को सुधार करने में सहायता करती है तो यह हार्ट की कोशिकाओं को भी रिपेयर कर सकती है और हमने यहां से हट पर इसकी जांच शुरू कर दी।
इस दवाई से गांव में रहने वाले मरीजों को होगा फायदा
ब्रेन की तरह से हर्ट में भी शरीर का महत्वपूर्ण अंग है। हार्ट में ब्लड फ्लो में गड़बड़ी और ऑक्सीजन में कमी होने पर मरीजों के ऊपर इसका सीधा असर दिखता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि इस प्रोटीन से तैयार होने वाली दवाइयों का इस्तेमाल इमरजेंसी के तौर पर किया जा सकता है।
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जिन मरीजों को हार्ट अटैक होती है उन्हें तत्काल इलाज की जरूरत होती है। ऐसे में एंबुलेंस में ही मरीजों को दवा दी जा सकेगी इसके वजह से उनकी हालत और बिगड़ने से रोका जा सके। शोधकर्ताओं ने बताया कि यह दवा आम तौर पर ग्रामीण इलाकों के लिए काफी मददगार होगी क्योंकि वहां रहने वाले लोगों को अस्पताल पहुंचने में लंबा वक्त लगता है और हार्ट अटैक की स्थिति में एक-एक सेकंड भी बहुमूल्य होता है।