कोरोना के चलते लोग होनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान दे रहे है। और इसके लिए तरह – तरह की दवाइयों का इस्तेमाल कर रह है। ऐसे में बहुत से लोग एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल भी कर रहे है। अब दुनिया में इसके इस्तेमाल के बाद फायदे और नुकसान को लेकर बहस होने लगी है। एक शोध ने एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल पर फायदे और नुकसान पर प्रकाश डालने की कोशिश की है। तो आइये जानते है एंटीबायोटिक्स के नुकसान और फायदे के बारे में।
एक शोध में पाया गया कि एंटीबायोटिक्स का डोज बढ़ाने से बैक्टीरिया को तंदुरुस्ती प्राप्त होती है। अनुमान लगाया गया किसाल 2050 ताकांतिबिओटिक्स के ज्यादा डोज़ के असर के कारण एक करोड़ से ज्यादा मौते होंगी। ई कोली नामक बैक्टीरिया पर ब्रिटेन और यूरोप में हुए शोध के परिणाम में पाया गया की ई कोली नाम के बैक्टीरिया के जनसंख्या की तीन आम एंटीबायोटिक्स पर प्रतिक्रिया पर अध्यन करते हुए पाया की एंटीबायोटिक्स के अधिक डोज की वजह से बैक्टीरिया जहां अपनी प्रतिरोधक की दर को कम किया तो दूसरी तरफ समग्र तौर पर बैक्टीरिया का स्वास्थ्य भी बेहतर होता गया। यानि की बैक्टीरिया के प्रजनन दर में काफी वृद्धि देखि गयी थी।
माटो लैंगेटर जो युनिवर्सिटी ऑफ़ मैनचेस्टर स्कूल ऑफ़ बायोलॉजिकल साइंसेज के शोधकर्ता है और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक भी है, उन्होंने बताया की – अगर कोई एक स्ट्रेन बहुत तेजी से वृद्धि करता है तो बहुत जल्दी ही वह पूरी जनसँख्या पर प्रभावी हो जाता है इसके वजह से देखा जाए तो हम इस वृद्धि दर को बेहतर स्वास्थ्य होने का एक कारण मान सकते है।
एक अध्ययन और है जिसके शोधकर्ताओ ने ये बताया की कैसे एंटीबायोटिक्स का ज्यादा इस्तेमाल या ज्यादा डोज दुविधा पैदा कर रहा है और इसका अंतिम परिणाम ज्यादा खरनाक या जुझारू होने का अनुमान है। आगे उन्होंने ये भी बताया की इससे नए विकसित हुए स्ट्रेन ज्यादा घातक , ज्यादा तंदरुस्त ,एक नई समस्या उत्पन कर सकते है।
लेंगेटर ने आगे बताया की नई दवाइयां बनाते समय सिर्फ इस बात का ध्यान रखा जाता रहा है की ये दवाई उस संक्रमण पर कितना प्रभावी है और मुक्ति दिलाने में कितना सफल है , लेकिन इस बात पर नहीं ध्यान दिया जाना या बहुत काम ध्यान दिया जाता है कि लक्षित बैक्टीरिया इन दवाओं के इस्तेमाल के बाद जो प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के बाद तंदरुस्त स्ट्रेन बनाएगा उसका परिणाम क्या होगा, इसपर ध्यान कम दिया जाता है।