इश्क़ और जंग दोनों एक ही सिक्के दो पहलु है। क्योकि जब इश्क़ होता है तो उसमे किसी को पा लेने के लिए नशा होता है और जंग में किसी को बर्बाद कर देने की खुमारी। और किसी ने शायद इसी लिए कहा है की इश्क़ और जंग में सब जायज है। आज हम एक ऐसे ख़ुफ़िया संगठन कि कहानी बताने वाले है जिसने पूरी दुनिया में 20 सालो तक खून कि होली खेलता रहा। अपने दुश्मनों को चुन – चुन कर मारता और उनके घरों पर गुलदस्ता भेजते और उसमे लिखते कि ” कि न हम भूलते है और न माफ़ करते है । “
दुनिया कि सबसे खतरनाक ख़ुफ़िया संगठन जिसका नाम है मोसाद जिसने पुरे इजारिल को हिफ़ाजत रखने कि जिम्मेदारी का बीड़ा उठाया है। मोसाद के ऐसे ऐसे किस्से है कि ये किसी मूवी से काम नहीं होंगे। इजराइल कि इस ख़ुफ़िया संगठन ने एक नहीं बहुत से तमाम कारनामे किये है और इसकी बहुत लम्बी फेहरिस्त है लेकिन हम आज एक ऐसे कहानी कि बात करेंगे जिसके वजह से पूरी दुनिया ने इजराइल और मोसाद का लोहा मनवाया था। आज इस कहानी को सुनाना इस लिए भी जरुरी है क्योकि ये कहानी फिलिस्तीन से जुडी है और इस वक़्त फिर से इजराइल और फिलिस्तीन आपस में लड़ रहे है।
मोसाद का इतिहास क्या है ?
मोसाद कि स्थापना 13 दिसंबर 1949 को हुई थी और इसका मुख्यालय इजराइल के तेल अवीव शहर में है। मोसाद का मकसद सिर्फ अपने दुश्मनों का सफाया करना नहीं है बल्कि दुनिया में अपने नाम का खौफ पैदा करना भी है,जिससे कोई इजराइल कि तरफ आँख उठा कर भी नहीं देखे।
तो आइये जानते है मोसाद के उस ख़ुफ़िया मिशन के बारे में जिसमे 20 साली तक खून कि होली खेलता रहा है और चुन – चुन के अपने दुश्मनो को मौत के घाट उतारता रहा।
बात 5 दिसंबर 1972 कि है जब जर्मनी के म्यूनिख शहर में ओलिंपिक का खेल चल रहा था। उसी वक़्त अंजान लोग खिलाडियों कि तरह कपडे पहन कर ओलिंपिक क्षेत्र में घुस गए और इजराइली खिलड़ियों को बंधक बना लिया था। ये सभी अनजान लोग फिलिस्तीन लिब्रेशन आर्गेनाईजेशन से जुड़े हुए थे। और अगले सुबह ये इजरायली खिलाड़ियों को बंधक बनाने कि खबर पूरी दुनिया में आग कि तरह फ़ैल गयी।
इजराइली खिलाड़ियों को बंधक बना कर आतंकियों ने बदले में इजराइल के जेलों में बंद 234 फिलिस्तीनियों को रिहा करने कि मांग कि थी। लेकिन इजराइल ने अपने अंदाज में 2 टूक जवाब देते हुए कहा कि हम आतंकियों कि कोई डिमांड पूरी नहीं करेंगे। फिर क्या था जर्मनी के सुरक्षबलों ने खिलाडियों को बचने के लिए ऑपरेशन के तहत हमला किया लेकिन आतंकियों ने सभी 11 खिलाडियों को मौत के घाट उतार दिया।
इसके बाद से इजराइल ने एक योजना बनाई और अपने दुश्मनों से बदला लेने के लिए “रैथ ऑफ़ गॉड” यानी “ईश्वर का कहर” नामक मिशन कि शुरुआत कर दी, जिसका लक्ष्य था उन सभी आतंकियों को मौत के घाट उतारना जो इजराइल के खिलाडियों कि मौत में शामिल थे। यानी कि मोसाद के निशाने पर सीधे -सीधे फिलिस्तीन लिब्रेशन आर्गेनाईजेशन के लोग और उनके ठिकाने थे। इनसे बदला लेने के लिए खिड़ाइयों के मौत के दो दिन बाद ही इजराइल कि सेना ने सीरिया और लेबनान में मौजूद फिलिस्तीन लिब्रेशन आर्गेनाईजेशन के कई ठिकानो पर बमबारी कि जिसमे करीब 200 आतंकियों समेत आम नागरिको कि मौत हुई थी।
उस वक़्त इजराइल के प्रधानमंत्री थे गोल्डा मेयर जिन्होंने बयान दिया कि इजराइल अब इतने से रुकने वाला नहीं है और उन्होंने मोसाद के साथ एक गुप्त बैठक कि और उन सभी लोगो को मारने के लिए एक मिशन चलाने के आदेश दिया जो लोग आतंकी संगठन के साथ जुड़े हुए थे। उन्होंने इस मिशन को पूरी दुनिया में चलने को कहा और होने दुश्मनोको चुन कर मारने कि योजना तैयार किया।
फिर इसके बाद शुरू होता मोसाद का 20 साल तक चलने वाला ये खुनी खेल। इस मिशन को पूरा करने के लिए मोसाद के अलग – अलग एजेंट दुनिया के अलग – अलग जगहों जाने कि तयारी करने लगे। मोसाद ने सबसे पहले अपने दुश्मनो कि एक लिस्ट तैयार की जिनका सम्बन्ध म्यूनिख हमले से जुड़ा हुआ था। मोसाद के एजेंट्स को जाली पासपोर्ट , फ़ोन बम , जहर की सुई ,इन सब का इस्तेमाल करते हुए उस लिस्ट में लिखे हर एक – एक दुश्मनों को 20 में दुनिया के हर एक कोने में खोज – खोज कर मारा।
मोसाद के एजेंट जिस भी आंतकी को मारते उनके शरीर में 11 गोली मारते थे। इस 11 गोली को मारने के पीछे का मकसद था की हर एक गोली एक खिलाडी के नाम पर मारते थे। क्योकि 1972 में 11 खिलाडियों को इन आतंकियों ने मारा था। हर एक आतंकी को मारने के बाद मोसाद के एजेंट उन आतंकियों को परिवार को एक बुके भेजते थे जिसमे एक सन्देश लिखते थे – “ यह याद दिलाने के लिए , हम न भूलते है , न माफ़ करते है। “