ब्रिटेन के नॉर्थ वेल्स में मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित होने के दो मरीज मिले हैं। नार्थ वेल्स स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ये मरीज ब्रिटेन के बाहर से संक्रमित हुए होंगे। अधिकारियों ने बताया कि मरीजों की मॉनिटरिंग की जा रही है और मंकीपॉक्स कैसे फैलता है इसका पता लगाया जा रहा है। अधिकारियों ने बताया स्वस्थ लोगों में इन मरीजों से संक्रमण फैलने का खतरा कम है।
यह भी पढ़े : 1 घंटे की कम नींद हार्ट अटैक को दावत, जाने नींद से जुडी कुछ रोचक बातें ।
मंकीपॉक्स वायरस इतिहास क्या है?
यह वायरस सबसे पहले डेमोक्रेटिक रिपब्लिकन के कांगो में 1970 में पाया गया था। 2003 में पहली बार अमेरिका में इसके मामले सामने आए थे। धीरे-धीरे यह दुनिया के अन्य कई सारे देशों में फैल चुका है।
मंकीपॉक्स वायरस क्या है?
WHO के अनुसार यह वायरस एक प्रकार का जूनोटिक वायरस है। जूनोटिक का मतलब यह है कि ये वायरस किसी संक्रमित जानवर से इंसानों में पहुंचता है। इस वायरस से संक्रमित होने के मामले अधिकतर सेंट्रल और पश्चिमी अफ्रीका के वर्षावनों में पाए जाते है। WHO के अनुसार अगर कोई व्यक्ति किसी जानवर के पसीना, लार,या खून के संपर्क में आता है जो इस वायरस से संक्रमित है तो उस व्यक्ति में इस वायरस के संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। जानकारों के अनुसार यह वायरस स्मालपॉक्स वायरस से समूह से रिश्ता रखता है।
यह भी पढ़े : सफ़ेद ग्लेशियर क्यों उगल रहा रहा लाल खून ? वजह हैरान करने वाली है।
इस वायरस के लक्षण क्या है?
इस मंकीपॉक्स वायरस के लक्षण स्मॉलपॉक्स के लक्षण से मिलते जुलते ही है। इस वायरस के संक्रमण होने के बाद मरीज को तेज बुखार, बैकपैन, थकान, मांसपेशियों में दर्द, स्किन पर छाले व रैशेज जैसे लक्षण दिखाई देते है। अगर किसी व्यक्ति को इस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं तो उसको इस वायरस का संक्रमण होने का इशारा है।
यह भी पढ़े : लायन फिश के हमले से ब्राजील के तट पर कई प्रजातियों को खतरा।
कितने दिन बाद आते है लक्षण?
ब्रिटेन कि स्वास्थ एजेंसी एनएचएस ने बताया कि इस वायरस के संक्रमण होने के बाद व्यक्ति में 1 से 5 दिन के बाद उसकी स्किन पर चकत्ते दिखाई देने लगते है। और यही लक्षण शुरुआती लक्षण है। इन चकत्तों की शुरुआत मरीज के चेहरे से आरंभ होती है और धीरे – धीरे उसके शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाती है। ये चकत्ते बाद में छाले का रूप धारण कर लेते हैं जिनमें पानी भर जाता है।
यह भी पढ़े : दुनिया के सबसे दुर्लभ खून कि कहानी, दुनियाभर में सिर्फ 43 लोगो के पास है यह खून।
11 प्रतिशत है मौत का खतरा
WHO के अनुसार इस मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण के मामले में मौत का खतरा 11 प्रतिशत है। WHO ने बताया की स्मालपॉक्स से बचने के लिए वैक्सीनिया इम्यून ग्लोब्यूलिन नामक टीके का इस्तेमाल होता है जो एक प्रकार का वायरस होने के कारण मंकीपॉक्स के संक्रमण से भी बचाने के लाए उपयोग मरीजों पर किया जाता हैं।
यह भी पढ़े : खबर विज्ञान की दुनिया से : जीन थैरेपी की मदद से 40 साल बाद लौटी 58 वर्षीय इंसान के आँख की रौशनी।