स्टेन लार्किन जो मिशीगन के रहने वाले हैं उनकी लाइफ चुनौतीपूर्ण रही है। स्टेन लार्किन हार्ट डोनर के इंतजार में बिना हार्ट के 555 दिन गुजार दिए। इन 555 दिनों में सिंकआर्केडिया नाम के डिवाइस ने कृत्रिम हृदय की तरह से काम कर उनको जिंदा रखा। यह डिवाइस हर वक्त स्टेन के साथ ही रहती थी। इस डिवाइस का इस्तेमाल उस परिस्थिति में किया जाता है जब किसी इंसान के दिल के दोनों हिस्से काम करना बंद कर देते हैं।
स्टेन लार्किन जब 16 साल के थे तब उनको इस हार्ट की बुरी स्थिति का पता चला था। स्टेन लार्किन एक दिन बास्केटबाल खेल रहे थे और खेलते खेलते अचानक गिर गए। उसके बाद स्टेन को अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल में भर्ती होने के बाद उनकी जांच की गई जिसमें एरिथमोजेनिक राइट वेंट्रीकुलर डिस्प्लेक्सिया नाम की बीमारी का पता चला।
क्या है एरिथमोजेनिक राइट वेंट्रीकुलर डिस्प्लेक्सिया बीमारी ?
यह एक प्रकार की ऐसी बीमारी है जिसमें मरीज के दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है और कभी कभी इसकी वजह से कार्डियक अरेस्ट भी हो सकता है। यह बीमारी खासतौर पर एथलीट्स में कार्डियक अरेस्ट को बढ़ावा देती है। स्टेन एक बास्केटबॉल खिलाड़ी रहे इसलिए इनको इसका खतरा अधिक था।
पूरा परिवार दिल कि बीमारी से जूझ रहा है
स्टेन के परिवार में सिर्फ वही अकेले नहीं हैं जो दिल की बीमारी से जूझ रहे हैं। उनके परिवार में उनके भाई, बहन और दूसरे सभी फैमिली मेंबर्स को कार्डियोमायोपैथी नामक बीमारी है। यह बीमारी दिल से जुड़ी है जिसमें हृदय की मांसपेशियों का सख्त हो जाना देखा जाता है जिसकी वजह से शरीर के हर हिस्से में खून नहीं पहुंच पाता। खून हर हिस्से में नहीं पहुंचने के कारण कार्डियोमायोपैथी के मामलों में हार्ट फेल होने का खतरा अधिक रहता है।
25 साल कि उम्र में बढ़ा खतरा
स्टेन गंभीर स्थिति में पहुंच गए और उनकी मौत का खतरा बढ़ रहा था। 25 साल की उम्र में वे गंभीर स्थिति से गुजरने लगे थे। ऐसे में स्टेन को जिंदा रहने के लिए एक हार्ट डोनर की तलाश होने लगी। दिक्कतों के बढ़ने की वजह से और डोनर मिलने के समय तक स्टेन को अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा।
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लगवाया कृत्रिम हार्ट जो 26 बार बंद किया था काम करना
डोनर न मिलने की स्थिति में स्टेन ने मिशिगन यूनिवर्सिटी के एक्सपोर्ट से एक कृत्रिम हार्ट लगवाने का निर्णय लिया। इस हार्ट की बैग के रूप में पीठ पर रखकर स्टेन अपना मनपसंद खेल बास्केटबॉल खेलना जारी रख सकते थे। स्टेन के मुताबिक कृत्रिम हार्ट लगने के बाद 26 बार ऐसा समय आया जब वह कृत्रिम हार्ट काम करना बंद कर देता था और इसकी वजह से स्टेन को अपनी कार तक पहुंचने में भी मुश्किलें आती थी। स्टेन ने कहा जब उनका हार्ट काम करना बंद किया तो उन्होंने कृत्रिम हार्ट का सहारा लिया जिसका वजन 6 किलो था। उन्होंने कहा कि कृत्रिम हार्ट लगने के बाद मेरी जिंदगी पहले की तरह फिर से खुशहाल हो गई।
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स्टेन की सर्जरी करने वाले डॉक्टर जोनाथन हाफ्ट ने बताया स्टेन के भाई भी कार्डियोमायापैथी नामक बीमारी की बुरी स्थिति से गुजर रहे थे। आईसीयू में मेरी दोनों से मुलाकात हुई और मैं इन दोनों का हार्ट ट्रांसप्लांट कराना चाहता था लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। डॉक्टर ने बताया स्टेन के भाई डोमीनिक को कृत्रिम हार्ट नहीं लगाया जा सका क्योंकि शरीर की बनावट में फर्क था। 6 हफ्ते हॉस्पिटल में बिताने के बाद उनका हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया था।
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