IIT गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी विशेष पट्टी तैयार की है जिसकी मदद से घाव तेजी से भरने में मदद मिलेगी। यह पट्टी ट्रांसपेरेंट (TRANSPARENT BANDAGE) होगी जिसको सिंथेटिक पॉलीमर से तैयार किया गया है। यह TRANSPARENT BANDAGE बायोडिग्रेडेबल होगी। इस पट्टी (TRANSPARENT BANDAGE) की वजह से पर्यावरण को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होगा।(TRANSPARENT BANDAGE) पट्टी बाजार में बेहद कम दामों में उपलब्ध हो सकेगी।
TRANSPARENT BANDAGE की मदद से घाव कैसे भरा जाएगा
शोधकर्ताओं ने बताया ट्रांसपेरेंट पट्टी (TRANSPARENT BANDAGE) की मदद से नमी बनी रहती है। इस नमी की वजह से शरीर में मौजूद एंजाइम घाव को भरने में मदद करेंगे। इस पट्टी को लगाने से शरीर अपने आप ही घाव को भरना शुरू कर देता है।
यह भी पढ़े: फ्लू की वैक्सीन और कोरोना के बीच क्या है कनेक्शन? क्या फ्लू की वैक्सीन से कोरोना को रोका जा सकता है?
काम दामों में मिलेगी यह TRANSPARENT BANDAGE
शोधकर्ताओं का दावा किया गया किया की यह पट्टी 50 फ़ीसदी कम दामों पर दूसरी पार्टियों की तुलना में बाजार में उपलब्ध हो सकेगी।
TRANSPARENT BANDAGE को क्यों किया गया था तैयार?
आम तौर पर देखा जाए तो घाव लगने के बाद डॉक्टर काटन की पट्टी का प्रयोग करते रहते हैं। इनसे अक्सर घाव के रिसाव को रोकने और कम समय में घाव को भरने के लिए उपयोग किया जाता रहा है। मगर को इसको हटाने के बाद कई बार घाव के रिपेयर हुए कोशिकाएं भी फिर से डैमेज हो जाते हैं। इन सभी दिक्कतों को देखते हुए इस पट्टी को तैयार किया गया है।
घाव को बाहर से ही देख पाएंगे
इस पट्टी की मदद से घाव को बाहर से ही देखा जा सकेगा और इलाज करने में आसानी होगी।
यह पट्टी कैसे हुई है तैयार?
इस पट्टी को डिपार्टमेंट ऑफ केमिकल इंजीनियरिंग टीम ने बनाया है। इस पर शोध करने वाली शोधकर्ता अरित्रा दास कहती हैं की इस पट्टी को तैयार करने के लिए हमने पॉलिविनाइल एल्कोहल जैसे सिंथेटिक पॉलीमर और हाइड्रोजेलका उपयोग किया है इसी कारण की वजह से पट्टी नॉन-टॉक्सिक है और कम दाम की है।
यह भी पढ़े: खबर विज्ञान की दुनिया से : जीन थैरेपी की मदद से 40 साल बाद लौटी 58 वर्षीय इंसान के आँख की रौशनी।