जापानी वैज्ञानिकों ने कॉलरा कि वैक्सीन को चावल से तैयार कर लिया है। इस वैक्सीन का पहला ह्यूमन ट्रायल सफल रहा है। इस वैक्सीन को टोक्यो और चिबा युनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है। इन वैज्ञानिकों ने दावा किया है की ह्यूमन ट्रायल के दौरान कोई भी साइड इफेक्ट नहीं दिखा है। ट्रायल के दौरान इसका बेहतर इम्यून रिस्पांस देखने को मिला है। इस वैक्सीन का नाम म्यूको राइस सीटीबी रखा गया हैं। पहले चरण के ट्रायल के रिजल्ट लैसेंट माइक्रोब जर्नल में पब्लिश किए गए है।
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इस वैक्सीन को क्या है खासियत?
1.इस वैक्सीन के लिए किसी भी तरह की फ्रीज या कूलिंग सिस्टम कि जरूरत नही होगी। इस वैक्सीन को आसानी से रूम टेंप्रेचर पर रखा जा सकता है।
2. यह एक ओरल वैक्सीन है इसलिए इसको लिक्विड में मिला कर पीया जायेगा जिसके वजह से किसी भी प्रकार कि सुई का इस्तेमाल नही होगा।
3. इस वैक्सीन को लेने के बाद मरीजों के आंतो कि म्यूकोसल मेंब्रेन कि सहायता से इम्यूनिटी यानी कॉलरा से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होगी।
कॉलरा कि वैक्सीन का इस्तेमाल कैसे करे ?
टोक्यो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता हिरोशी कियोनो ने बताया कि मरीजों के ऊपर ट्रायल के दौरान वैक्सीन का सबसे कमजोर 3mg, मीडियम 6mg और हाई 18mg डोज का इस्तेमाल किया गया था। इन तीनों डोज को देने के बाद से हाई डोज में इसका असर ज्यादा देखा गया। वैक्सीन देने के बाद दूसरे और चौथे महीने में मरीज के शरीर में IgA और IgG एंटीबॉडी पाई गई थी। IgA और IgG एंटीबॉडी खास तरह के प्रोटीन है जिसको इम्यून सिस्टम द्वारा रिलीज किया जाता है। यह प्रोटीन कॉलरा टॉक्सिन बी के संक्रमण से लड़ने में सक्षम है।
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कॉलरा कि वैक्सीन को कैसे किया गया हैं तैयार ?
वैज्ञानिकों ने जेनेटिकली मॉडिफाइड चावल के छोटे दानों वाले पौधे फॉर्म में लगाए और इससे वैक्सीन को तैयार किया। पौधे लगाने के बाद फसल तैयार हुई और उसमें से चावल को तोड़ लिया गया। चावल को बारीक पिसा गया तथा स्टोरेज के लिए एलुमिनियम पैकेट में रखा गया। टीकाकरण के दौरान इस पाउडर को 1/3 कप सेलाइन वाटर में मिलाया गया और मरीजों को पिला दी गई। वैज्ञानिकों ने बताया कि इस वैक्सीन को सादे पानी के साथ भी मरीजों को दिया जा सकता है।
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कॉलरा क्या है?
यह बैक्टीरिया से होने वाली एक संक्रामक बीमारी है। कॉलरा का संक्रमण आमतौर पर गंदे और दूषित पानी की वजह से होता है। इस संक्रमण के होने के बाद से मरीजों के शरीर में पानी और पोषक तत्वों की भारी कमी होने लगती है और इसके बाद मरीज की जान भी जा सकती है। कालरा के लक्षण अलग-अलग लोगों में अलग-अलग समय पर दिखाई देते हैं। किसी में संक्रमण के कुछ घंटे बाद तो किसी में दो से तीन दिन बाद लक्षण सामने आते हैं।
कॉलरा से कैसे करें बचाव?
कॉलरा से बचने के लिए गंदे पानी में धुली गई सब्जियों इस्तेमाल न करें क्योंकि कॉलरा होने का सबसे ज्यादा खतरा गंदे पानी में धुली गई सब्जियों से ही है। सब्जियों और सलाद को साफ पानी से धोने के बाद ही इस्तेमाल करें। सीफूड और मछलियों से भी कॉलरा होने का खतरा बना रहता है। गंदगी वाले जगहों में हैजा फैलने का भी खतरा अधिक होता है।