डीआरडीओ द्वारा बनाई कोरोना की दवाई को मिली इस्तेमाल करने की मंजूरी।

देश में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहे है। आये दिन 2 से 3 लाख तक मामले पुरे देश में दर्ज हो रहे है तो वही 3 हजार तक लोगो की जान जा रही है। ऐसे में एक बड़ी खुशखबरी सामने आयी है। डीआरडीओ द्वारा बनाई कोरोना की दवाई को आपातकाल इस्तेमाल के लिए ड्रग कंट्रोलर ने मंजूरी दे दी है। इस दवा के अब तक सभी क्लिनिकल ट्रायल में सकारात्मक परिणाम मिले है।
इस दवा को डीआरडीओ के इंस्टीटुए ऑफ़ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड अलायड साइंस और सेण्टर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी हैदराबाद ने मिला कर बनाया है। इस दवा का नाम 2-deoxy-D-glucose (2-DG ) रखा गया है। मैनुफेक्चरिंग की पूरी जिम्मेदारी हैदराबाद के डॉक्टर रेड्डी लॅबोरेटरी को दी गयी है। इस दवा का इस्तेमाल जिन भी मरीजों पर किया है उन सभी में रिकवरी तेजी से हुआ है और उन मरीजों में ऑक्सीजन लेवल भी ठीक पाया है। ये दवा जिन मरीजों को दिया था उन मरीजों को अलग से ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ी थी। इस दवा का इस्तेमाल करने वाले मरीजों के कोरोना रिपोर्ट दूसरे मरीजों की तुलना में जल्दी नेगेटिव आई है। अप्रैल 2020 में ही डीआरडीओ ने इस दवा पर शुरू कर कर दिया है। इसके बाद शोध में पाया गया की यह दवा कोरोना संक्रमण को रोकने में काफी हद तक मददगार है जिसके बाद डीसीजीआई ने इसके क्लीनिकल ट्रेल फेज 2 की मई 2020 को मंजूरी दे दी।

कैसे हुए क्लीनिकल ट्रायल्स ?
क्लीनिकल ट्रायल्स फेज 2 – सबसे पहले क्लीनिकल ट्रायल फेज 2 को दो हिस्सों में बाटा गया था। फेज 2a के ट्रायल्स में 6 अस्पतालों को शामिल किया था जबकि फेज 2b के ट्रायल्स में 11 अस्पतालों के कुल 110 मरीजों पर इसका ट्रायल हुआ। यह ट्रायल्स पिछले साल मई से अक्टूबर के बीच किया गया था।
परिणाम – जिन मरीजों पर इस दवा का इस्तेमाल हुआ था वे सभी मरीज बाकी अन्य दूसरे मरीजों की तुलना में 2.5  दिन पहले ठीक हो गए।

क्लीनिकल ट्रायल फेज 3 – फेज -3 का ट्रायल्स देश के 27 अस्पतालों के 220 मरीजों के ऊपर दिसंबर 2020 से मार्च 2021 तक चला। ये ट्रायल्स देश के 10 राज्यों के मरीजों पर किया गया है, जिसमे दिल्ली , उत्तर प्रदेश , बंगाल, गुजरात , राजस्थान ,महाराष्ट्।,तमिलनाडु ,कर्नाटक, आंध्रा और तेलंगाना शामिल थे।
परिणाम – जिन मरीजों पर इसका इस्तेमाल हुआ था उन 42  % मरीजों को ऑक्सीजन की निर्भरता तीसरे दिन ख़त्म हो गयी थी जबकि दूसरे 31 % मरीजों की निर्भरता खत्म नहीं हुई, जिससे ये बात साफ दिख रही है की दवा इस्तेमाल करने के बाद ऑक्सीजन की जरूरत कम है। इसमें सबसे ज्यादा अच्छी बात ये रही की इस दवा का असर 65 साल से ऊपर लोगो में भी सकारात्मक रही है।

इस दवा का इस्तेमाल मरीज कैसे करेंगे ?
इस दवा का इस्तेमाल मरीज साधारण तरिके से कर सकते है। ये दवा बाजारों में पाउडर के रूप में उपलब्ध होगी जिसको मरीज पानी में घोल कर पी सकते है।

सरकार के लिए सुझाव-  अब देश जिस मुश्किल समय से गुजर रहा है उस समय इस दवा का बाजार में आना बेहद सुखद खबर है। हम उम्मीद करते है ये जल्द से जल्द बाजार में उपलब्ध हो ताकि लोग इसका इस्तेमाल कर अपनी और अपनों की जान बचा सके। मगर सरकार को एक बात का ध्यान जरूर रखना होगा की जैसे तमाम राज्य वैक्सीन की उपलब्धता पर सवाल खड़े कर उसी तरह से इस दवा की उपलब्धता पर कोई प्रश्न चिन्ह न खड़ा कर पाए। इसके लिए राज्य और केंद्र सरकारों को एक प्लान के तहत इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी ताकि हर एक जरूरतमंद तक यह दवा आसानी से पहुंच सके और कालाबाजरी न हो पाए। क्योकि देश में कोई भी चीज गरीबो को मिलने में वक़्त लगता है क्योकि गिद्ध के रूप में बैठे पैसे वाले लोगो तक पहले पहुंच जाती है और फिर वहां से कालाबाजारी शुरू हो जाती है। ऐसे में सरकार को इसके लिए एक्शन प्लान और सप्लाई चैन बनाने की जरूरत होगी।

 

 

निलेश गोविन्द राव

 

 

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