वैक्सीन पर सवाल, दिल्ली AIIMS ने दिया जवाब

वैक्सीन को लेकर के सवाल बहुत सारे लोगों के मन में उठ रहे थे। सवाल यह था कि वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद भी लोगों को कोरोना का संक्रमण क्यों हो रहा है ? इसके पीछे की मुख्य वजह क्या है? इस तथ्य को लेकर के बहुत से लोगों ने वैक्सीन के बारे में भ्रामक खबरें लोगों के बीच में फैलाने शुरू कर दी। लोगों ने इस वैक्सीन पर सवाल उठाने शुरू कर दिए कि यह वैक्सीन कारगर नहीं है। ऐसे में इन सभी सवालों के जवाब ढूंढने के लिए दिल्ली AIIMS ने एक स्टडी की।

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दिल्ली AIIMS कि स्टडी में हुआ खुलासा

इस स्टडी में वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके लोगों के संक्रमण होने के पीछे की वजह को ढूंढने की कोशिश की गई। इस अध्ययन के बाद पता चला वैक्सीन लगवा चुके लोगों में संक्रमण होने के ज्यादातर मामलों के पीछे कोरोना वायरस का एक खास वैरीअंट वजह है। कोरोना वायरस का डेल्टा वैरीअंट b.1 .167.2 वैक्सीन लगवा चुके लोगों में संक्रमण कर रहा है। वैक्सीन का पहला या दोनों डोज लगवा चुके लोगों के अंदर यह वेरिएंट पाया गया था। लेकिन राहत की बात यह है कि वैक्सीन की डोज लेने वाले लोगों में सिर्फ तेज बुखार जैसे ही लक्षण दिखाई दे रहे हैं, किसी को गंभीर परिस्थिति से नहीं गुजरना पड़ रहा है।

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दिल्ली AIIMS ने 63 लोगों पर किया अध्ययन

इस स्टडी दिल्ली एम्स ने 63 लोगों को शामिल किया था। यह सभी लोग वैक्सीन लेने के बाद भी संक्रमित हो गए थे। इन 63 लोगों में से 36 लोगों ऐसे थे जिन्होंने वैक्सीन की दोनों डोज ली थी जबकि 27 लोग सिर्फ पहली डोज ही लिए थे।इनमें से 10 लोगों को कोरोना वैक्सीन कोविशिल्ड और 53 लोगों को कोवैक्सीन लगाई गई थी। एम्स के स्टडी के मुताबिक 63 लोगों में 41 पुरुष और 22 महिलाएं थी। इन 63 लोगों को वैक्सीन लगी थी इसके बाद ये सभी कोरोना से संक्रमित हुए लेकिन इनमें से किसी की भी मृत्यु नहीं हुई। इनमें से ज्यादातर लोगों को 5 से 7 दिन तक सिर्फ तेज बुखार रहा।

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दिल्ली AIIMS ने डेल्टा वेरिएंट को बताया जिम्मेदार

AIIMS के स्टडी में पाया गया 63 % लोगों को डेल्टा वैरिएंट ने संक्रमित किया था जो वैक्सीन की दोनों लगवा चुके थे। जबकि 70% लोगों में कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट पाया गया जो सिर्फ वैक्सीन की पहली डोज ही लगवाए थे। दिल्ली एम्स के इमरजेंसी डिपार्टमेंट में रूटीन टेस्टिंग के लिए आने वाले मरीजों से नमूनों को इकट्ठा कर अध्ययन किया गया था। इनमें से तेज बुखार, सांस लेने में तकलीफ और सिरदर्द की समस्या पाई गई थी। हालांकि इस स्टडी की अब तक समीक्षा नहीं हो पाई है।

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वैक्सीन लेने के बाद मरीजों में वायरस ज्यादा मिला

दिल्ली AIIMS के किए स्टडी और उसके रिपोर्ट के अनुसार इन सभी मरीजों में वायरस लोड काफी ज्यादा था। यह मरीज सिंगल डोज लिए हो या दोनों डोज तथा कोविशिल्ड लिए हो या कोवैक्सीन दोनों ही मामले में वायरस लोड का स्तर काफी ज्यादा पाया गया है। भारत में जो दूसरी लहर आई थी इसके पीछे कोरोना वैरीअंट b.1 .167.2 ही था।

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क्या है कोरोना वैरीअंट b.1 .167.2

यह वेरिएंट भारत में सबसे पहले पाया गया था और इस वैरीअंट का पता अक्टूबर 2020 में लगा था। यह अब तक दुनिया के करीब 53 देशों में पाया जा चुका है। एक स्टडी के अनुसार कोरोना का यह वेरिएंट सुपर इनफेक्शियस है जिसकी वजह से भारत में दूसरी लहर में ज्यादातर लोग संक्रमित हो गए। इस वैरिएंट ने भारत में करीब 1.80 लाख लोगों की जान ली है। इस वैरिएंट पर एंटीबॉडी या वैक्सीन कारगर है या नहीं यह अब तक पक्के तौर पर पता नहीं चल पाया है।

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W.H.O. ने दिया नाम 

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने इस वैरीअंट को डेल्टा नाम दिया है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने बताया इस डेल्टा वैरिएंट के ऊपर वैक्सीन की इफेक्टिवेनेस और दवाएं कितनी प्रभावी हैं इस पर कोई जानकारी अब तक नहीं मिली है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह भी नहीं पता कि इसकी वजह से रिइंफेक्शन का खतरा कितना है।

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