हर साल दुनिया में मलेरिया के कारण लाखों लोग अपनी जान गवा देते हैं। इन मौतों के आंकड़ों को कम करने के लिए तथा मलेरिया के मामले घटाने के लिए वैज्ञानिकों ने एक नया अनोखा तरीका खोज निकाला है। मलेरिया फैलाने वाले मादा मच्छर को वैज्ञानिकों ने CRISPER GENE EDITING तकनीकी से मादा मच्छर को INFERTILE बना दे रहे हैं। इस तकनीकी से मच्छरों की आबादी पर काबू पाया जा सकता ।है वैज्ञानिकों ने इस तकनीकी को गेम चेंजर साबित होने वाला बताया है जिससे बीमारी की वजह से होने वाले मौत के आंकड़े को कम किया जा सकता है।

CRISPER GENE EDITING

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कौन से प्रजाति के ऊपर हुआ है प्रयोग ?

इस पूरे रिसर्च पर लंदन का इंपीरियल कॉलेज और लिवरपूल स्कूल आफ ट्रॉपिकल मेडिसिन मिलकर शोध कर रहे हैं। मादा मच्छरों के GENE में वैज्ञानिक इस तरह का बदलाव कर रहे हैं कि वह मादा मच्छर कभी भी प्रजनन करने के लायक ना रहे। वैज्ञानिकों ने इसके लिए मच्छरों की एनाफिलीज गैम्बी प्रजाति को चुना और इसी प्रजाति की वजह से सब सहारा अफ्रीका में मलेरिया फैलता है।

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 CRISPER GENE EDITING से मच्छरों को इन्फेंटाइल कैसे बनाया जा रहा है?

वैज्ञानिक मच्छरों को INFERTILE बनाने के लिए CRISPER GENE EDITING तकनीकी का उपयोग कर रहे हैं। इस CRISPER GENE EDITING तकनीकी की वजह से मादा मच्छरों के जीन में बदलाव किया जा रहा है। मादा मछरों में मौजूद डबलसेक्स GENE में वैज्ञानिक बदलाव करने की तैयारी कर रहे हैं, जिससे मच्छर प्रजनन के लायक ना रहे।

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560 दिनों में मच्छरों के संख्या में आई कमी

इस पूरे प्रयोग के दौरान पाया गया कि 560 दिनों के अंदर मच्छरों की संख्या में कमी आई। वैज्ञानिकों ने यह भी बताया कि मच्छरदानी, कीटनाशक और वैक्सीन के साथ CRISPER GENE EDITING मलेरिया को खत्म करने की बेहतरीन और सबसे तेज तकनीकी है और यह बड़ा बदलाव ला सकती है। दुनिया भर की बात करे तो करीब 3500 प्रजाति के मच्छर पाए जाते है। इन 3500 में से सिर्फ ही कुछ ही प्रजाति के मच्छर मलेरिया को फैलाते है।

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