वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि गाय के पेट में ऐसे जीवाणुओं का समूह मिला जो प्लास्टिक को भी पचाने की क्षमता रखता है। यानी कि गाय प्लास्टिक को भी बचाने में सक्षम है। वैज्ञानिकों ने बताया गाय के पेट में पहुंचने वाली प्लास्टिक को यह जीवाणु छोटे टुकड़ों में तोड़ कर पचा देते हैं।
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इसका दावा ऑस्ट्रिया की यूनिवर्सिटी ऑफ़ नेचुरल रिसोर्सेस एंड लाइफ साइंस के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार गाय के रूमेन रेटिकुलम में ऐसे जीवाणुओं का समूह मौजूद है जो खाना पचाने का भी काम करते हैं। आपको बता दें गाय के पाचन तंत्र का एक अहम हिस्सा रूमेन रेटिकुलम होता है।
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तीन तरह के प्लास्टिक का किया इस्तेमाल
शोधकर्ताओं ने इस प्रक्रिया को समझने के लिए । वैज्ञानिकों ने पहला प्लास्टिक इस्तेमाल किया था जिसका नाम पॉलिथीन टेराफथेलेट था जो सिंथेटिक पॉलीमर है और इसकी उपयोगिता ज्यादातर पैकेजिंग और टैक्सटाइल इंडस्ट्री में किया जाता है। वैज्ञानिकों ने दूसरा प्लास्टिक पॉलीब्यूटिलीन एडिपेट टेरेफ़्थेलेट का किया जिसका उपयोग प्लास्टिक बैग बनाने में किया जाता है। तथा तीसरा प्लास्टिक पॉलीथिन फ्यूरानोएट था।
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रूमेन के लिक्विड का शोध में किया इस्तेमाल
वैज्ञानिकों ने सबसे पहले स्लाटर हाउस से रूमेन का लिक्विड लिया और तीनों के प्लास्टिक पर उसका उपयोग करना शुरू किया। इसके बाद समझने की कोशिश किया कि लिक्विड किस हद तक मौजूद जीवाणु इस प्लास्टिक को पचा पाते हैं। इस प्रयोग के बाद सामने आया कि यह जीवाणु तीनों प्लास्टिक को तोड़ने में समर्थ है।
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खास तरह के एन्जाइम्स का करते हैं प्रयोग
वैज्ञानिकों के अनुसार गाय के पेट में मौजूद यह जीवाणु किसी खास तरह के एन्जाइम्स का प्रयोग करते हैं और यही कारण है कि ये प्लास्टिक को तोड़ने में असरदार है। वैज्ञानिकों ने फिलहाल यह रिसर्च अभी छोटे स्तर पर किया है लेकिन उनका मानना है कि इसे बड़े स्तर पर किया जाएगा ताकि पता लगाया जा सके कि ये जीवाणु कितना इको फ्रेंडली साबित हो सकते हैं।
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