जब से दुनिया में कोरोना महामारी आई है तबसे दुनिया भर वैज्ञानिकों ने उस वायरस पर अलग अलग शोध करना शुरू कर दिया था। इस वायरस पर तमाम रिसर्च और सर्वे किया जा रहा है। हर रोज इस वायरस को लेकर कोई न कोई नई जानकारी दुनिया के सामने आती रहती है। हर रोज इस बीमारी पर नए नए शोध किये जा रहे है और जानकारियां जुटाई जा रही यही ताकि भविष्य की आने वाली समस्याओं का आंकलन किया जा सके। जब यह बीमारी दुनिया के सामने आयी तब कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार यह गया था की यह बीमारी कुछ खास ब्लड ग्रुप वाले लोगो को ज्यादा प्रभावित करती है मगर उसकी कोई जयादा जानकारी दुनिया के पास नहीं थी । लेकिन अब CSIR (कॉउन्सिल ऑफ़ साइंटिफिक एन्ड इन्डस्ट्रियल्स रिसर्च ने सर्वे किया है और सर्वे के अध्ययन के बाद उन्होंने ब्लड ग्रुप और कोरोना के संबध क्या है उसकी जानकारी दी। CSIR ने अपने सर्वे रिपोर्ट में लिखा की कोरोना संक्रमण का सम्बद्ध ब्लड ग्रुप से भी है।
CSIR ने अपने रिपोर्ट में लिखा में ब्लड ग्रुप AB और ब्लड ग्रुप A वाले लोग में कोरोना के संक्रमण का खतरा अन्य ब्लड ग्रुप वालो से ज्यादा है। वही सर्वे में यही पता चला की ब्लड ग्रुप O वाले लोगो में संक्रमण का खतरा अन्य ब्लड ग्रुप वालो की तुलना में कम है लेकिन इसका ये मतलब बिलकुल भी नहीं है की इनको कोरोना का संक्रमण होगा ही नहीं। CSIR ने अपने सर्वे की रिपोर्ट में आगे लिखा है की हमने ये सर्वे देश भर से जुटाए गए संक्रमित लोगो के नमूने पर किया है और उसका अध्ययन करने के बाद हम इस नतीजे पर पहुंचे है की ब्लड ग्रुप O वाले व्यत्कियों में कोरोना के संक्रमण का खतरा बाकि अन्य ब्लड ग्रुप की तुलना में कम है जबकि A और AB ब्लड ग्रुप वाले लोग कोरोना संक्रमण के प्रति ज्यादा सवंदेशील है। O ग्रुप वाले लोगो के नमूने पर अध्यन करने पर पता चला की इन लोगो में कोरोना का संक्रमण होने के बाद ज्यादा तर हलके लक्षण ही दिखे या तो वे लोग असिम्पटोमैटिक थे। CSIR ने आगे बताया की हमें सर्वे के दौरान ये भी पता चला है की जो लोग मांस का सेवन करते है उनकी तुलना में शाकाहारी लोगो को कोरोना का संक्रमण कम होता है यानी जो लोग मांसाहारी भोजन करते है उनको कोरोना से संक्रमण के प्रति ज्यादा संवेदनशील पाया गया है।
सवाल – ऐसा क्यों है की मांसाहारी लोगो में कोरोना के संक्रमण का खतरा ज्यादा है जबकि शाकाहारी लोगो में कम ?
उत्तर – CSIR ने अपने रिपोर्ट में लिखा है की शाकाहारी भोजन में हाई फाइबर पाया जाता है जो हमारे में में जाने के बाद प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है। आगे लिखा की जिस भोजन में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है वो भोजन एंटी – इंफ्लामेटरी होता है जिसकी वजह से शरीर में संक्रमण के बाद होने वाली जटिलताओं को रोकने की क्षमता बढ़ जाती है और फाइबर युक्त भोजन इसीलिए संक्रमण होने से बचता है। अगर मांसाहारी भोजन की बात करे तो उसमे ऐसी शक्ति काम होती है जिसके वजह से ऐसे लगो को संक्रमण का खतरा ज्यादा है।
आपको ये बताना अतिआवश्यक है की CSIR ने ये सभी सर्वे देशभर से करीब 10 हजार से ज्यादा संक्रमित लोगो से सैंपल लिए और करीब 140 डॉक्टरों की टीम ने इसपर शोध करने के बाद इस रिपोर्ट को दिया है।
आगरा के एक पैथोलॉजिस्ट डॉक्टर अशोक शर्मा ने समाचार चैनल से बातचीत के दौरान बताया की सब कुछ किसी व्यक्ति के आनुवांशिकी संरचना पर निर्भर है। उदारहण के लिए उन्होंने कहा की थैलेसीमिया से पीड़ित मरीज को मलेरिया से पीड़ित होने की सम्भावना बहुत काम हो जाती है। हमने ऐसे बहुत से उदारण रिपोर्ट किएर है की पूरा परिवार कोरोना से संक्रमित है मगर घर का एक सदस्य बिकुल ठीक है ,ये सब आनुवांशिक संरचना के वजह से होता है।
वरिष्ठ डॉक्टर एस के कालरा ने CSIR द्वारा दिए इस रिपोर्ट और उनके सर्वे पर बयान देते हुए कहा की ये कोई वैज्ञानिक द्वारा किया गया शोध पर आधारित रोपर्ट नहीं है ये सिर्फ एक सैंपल सर्वे है। उन्होंने कहा की इस सर्वे रिपोर्ट को देखा जाए तो इसकी निष्कर्ष की सीमा बहुत ही सिमित है इस लिए इस पर कुछ भी कहना मेरे हिसाब से जल्दबाजी होगा। अलग – अलग ब्लड ग्रुप वाले लोगो के लिए गए नमूने में संक्रमण का अंतर क्यों आया है ये अभी वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय है इसलिए कुछ भी बयान देना अभी जल्दबाजी होगी। CSIR ने जो भी रिपोर्ट दी है वो सिर्फ सैंपल सर्वे है , न की वैज्ञानिकों द्वारा समीक्षा किया गया शोध पत्र।
निलेश गोविन्द राव