दुनिया के आठ ऐसे देश जिन्होंने पर्यावरण बचाने के लिए अनूठा प्रयास किया। आज पर्यावरण दिवस के अवसर पर इन 8 देशों के पर्यावरण के बचाव के लिए उठाए गए बेहतरीन कदमों की बात करेंगे। इन 8 देशों ने पर्यावरण को बचाने के लिए क्या कदम उठाए उनकी विस्तृत जानकारी हम इस पोस्ट में देने वाले हैं।

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अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने तीन दशक पहले 1992 में रियो डी जनेरियो में हुए पृथ्वी शिखर सम्मेलन में पर्यावरण की बढ़ती चुनौतियों को स्वीकार करते हुए समाधान की जरूरत जताई थी। इस ऐतिहासिक सम्मेलन के बाद से कई सारे संकल्प और समझौते भी दुनिया के सामने आए थे। इन सभी समझौतों में से एक समझौता था यूएन फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज ।

1992 में क्योटो प्रोटोकोल और फिर 2015 में पेरिस समझौते ने भी कुछ उम्मीद जताई थी। जिससे पर्यावरण को बचाया जा सकता है। 2015 में हुए पेरिस समझौते की अगर बात करें तो यह समझौता जलवायु परिवर्तन पर एक बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय संधि है। इस संधि को लगभग 200 देशों ने अपनाएं। 2016 से यह संधि लागू हो चुकी है।

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इस समझौते का मुख्य उद्देश्य था वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना ताकि वैश्विक तापमान की वृद्धि को पूर्व औद्योगिक स्तर से 2 डिग्री सेल्सियस कम रखा जा सके। हालांकि बाद में तापमान वृद्धि को और 1.5 डिग्री सेल्सियस रखने का लक्ष्य बना दिया गया। अब इस नए लक्ष्य को पाने के लिए हर देश को ग्रीन गैस के उत्सर्जन को अपने यहां कम करना होगा। लक्ष्य को पाने के लिए कुछ देशों ने इसके लिए बेहतरीन प्रयास किए।

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आज हम बात करेंगे कि किन देशों ने क्या प्रयास किए हैं।

1.ब्रिटेन और फ्रांस : ब्रिटेन और फ्रांस दुनिया के पहले ऐसे देश हैं जिन्होंने ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को शून्य पर करने के लिए एक विशेष कानून बनाया। जून 2019 में ब्रिटेन ने कानून बनाकर यह काम 2050 तक करने का लक्ष्य तय किया। ऐसा कानून बनाकर ब्रिटेन पहला जी7 देश बना था। इसके बाद 2050 तक फ्रांस ने भी ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को शून्य के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कानून बना दिया।

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2. स्वीडन :अगर पूरे यूरोप की बात करें तो स्वीडन में सबसे कम उत्सर्जन दर है। स्वीडन में 1920 के बाद से उत्सर्जन में 20% की कमी आई। 2003 में यहां की सरकार ने अपशिष्ट प्रबंधन के लिए एक अलग नीति बनाई और इस पर अमल करते हुए अब केवल 1% ही ठोस कचरा बचता है बाकी 99% कचरे को रिसाइकल कर उसको बायोगैस में बदल दिया जाता है। स्वीडन में पर्यावरण संरक्षण को राष्ट्रीय जिम्मेदारी माना जाता है।

3. फिनलैंड: फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी सबसे स्वच्छ राजधानी शहरों में से एक मानी जाती है । फिनलैंड में 2025 तक पर्सनल कार को खत्म करने की तैयारी है। इसकी जगह पर लोगों के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम का इस्तेमाल करना होगा। 1000 लोकल बस स्टॉप बनाए जाएंगे। टैक्सी की तरह ही पिकअप और ड्रॉप की सुविधा प्रदान की जाएगी, ताकि लोग पर्सनल कारों के इस्तेमाल से बचें और इस की जरूरतों को खत्म किया जा सके। फिनलैंड में 24 सौ मील साइकिल लेन है।

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4.डेनमार्क : पर्यावरण बचाने के लिए डेनमार्क में 41% की आवाजाही साइकिल से की जाती है। 2025 तक इसको 50% करने का लक्ष्य तय किया गया है। 50 साल पहले डेनमार्क में एक साइकिल पर तीन पेट्रोल वाहन थे जबकि 2016 में इन साइकिलों की संख्या कार से अधिक हो गई थी। डेनमार्क परिवहन प्रणाली को तैयार करने में लगा है जिसमें परिवहन जीवाश्म ईंधन मुक्त हो और भीड़भाड़ वाले इलाकों में वायु का प्रदूषण कम किया जा सके।

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5. नार्वे : नार्वे ने भी अपने देशों में इलेक्ट्रॉनिक कार को अपना लिया है। नार्वे की सरकार चाहती है कि 2025 तक देश में 100% इलेक्ट्रॉनिक कारों का ही व्यापार हो। 2017 में बिकने वाली इलेक्ट्रॉनिक कार हाइब्रिड कारों में हिस्सेदारी थी लेकिन 2019 तक 60% हो गई।

6. पेरू : 2018 में दक्षिण अमेरिकी राष्ट्र पेरू ने अलग पर्यावरण कोट बनाया। इस कोर्ट में वनों की कटाई ,पर्यावरण छरण, वन्यजीवों के व्यापार और अवैध खनन जैसे मामलों की सुनवाई की जाती है। इस कोर्ट में पहले साल ही 3000 मामलों की सुनवाई हुई थी।

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7. फ्रांस : पर्यावरण को बचाने के लिए फ्रांस की सरकार ने ज्यादा प्रदूषण करने वाली कारों पर एसयूवी टैक्स को बढ़ा दिया। पहले 184g/km CO2 उत्सर्जन सीमा से अधिक प्रदूषण करने वाले वाहनों पर14000 डॉलर का भुगतान किया जाता था जिसको बढ़ाकर 22240 डॉलर यानी कि करीब 16 लाख रुपए कर दिया गया है।

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8. सिंगापुर : 2008 में सिंगापुर में नई इमारतों को ग्रीन बिल्डिंग बनाने का अनिवार्य रूप से आदेश दे दिया गया। सिंगापुर का लक्ष्य है कि 2030 तक सभी 80% इमारतों को ग्रीन कर दिया जाए। इन इमारतों पर हरियाली ,वाटर रिचार्जिंग, सौर ऊर्जा जैसे उपयोगी सुविधाएं उपलब्ध होंगी।

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तो ये थी कुछ देशों से जुड़ी जानकारियां जिन्होंने पर्यावरण बचाने के लिए अपने देश में तरह तरह के कानून बनाएं और सिर्फ कानून बनाया ही नहीं इसका कड़ाई से पालन भी अपने लोगों से करवाया है ।

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